रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
बचे केमिकल रंग से, कर देते बीमार। प्राकृतिक रंग ही सदा,खुशियों का उपहार। बचे केमिकल रंग से, कर देते बीमार। प्राकृतिक रंग ही सदा,खुशियों का उपहार।
मेरी नज़रों को अब एक तेरी प्रतीक्षा है ... हिय में केवल तुमसे मिलने की इच्छा है .. मेरी नज़रों को अब एक तेरी प्रतीक्षा है ... हिय में केवल तुमसे मिलने की इ...
मैं लाल हुई जब मिली नज़रें शर्मों हया से मैं पीत हुई लगी बदन हल्दी प्रीत नाम की मैं नीली हुई साँस... मैं लाल हुई जब मिली नज़रें शर्मों हया से मैं पीत हुई लगी बदन हल्दी प्रीत नाम क...
कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो